November 7, 2024
CRIME Travel जिला रायसेन प्रशासन

प्रशासनिक कार्यालयो के सामने से ओवरलोड रेत से भरे डंपर अवैध रुप से कर रहे परिवहन, अफसर मौन

शिवम नामदेव, सिलवानी

अनफिट डंपर ओवरलोड रेत भरकर बीच बाजार से कर रहे अवैध परिवहन, जांच न होने से चालक बेफिक्र


शहर के बीचोंबीच निकले दो स्टेट हाइवेए यहीं लगता है बाजार, घटना हुई तो जिम्मेदार कौन


सिलवानी। प्रशासन की नाक के नीचे लगातार अवैध रुप से रेत का परिवहन हो रहा है बल्कि रेत से भरे डंपर, ट्रक आदि वाहन अनफिट होने के साथ ही ओवर लोड रेत भर कर अंधी रफ्तार से दौड़ रहे है। लेकिन प्रशासनिक अफसरो के द्वारा अनफिट ओवरलोड रेत से भरे वाहनो पर कोई कार्रवाही नही की जा रही है। फल स्वरुप अफसरो की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे है।
बताया जा रहा है कि बाड़ी,बरेली, देवरी, उदयपुरा सहित अन्य नर्मदा घाटों से बड़ी संख्या में शहर से डंपर रेत का परिवहन अवैध रूप से कर रहे हैं। इन डंपर चालकों के पास फिटनेस सार्टिफिकेट है ना ही यह पूरी तरह से फिट है। वहीं अनुभवहीन चालक इन डंपरों को चला रहे हैं। खनिज विभाग और पुलिस इन वाहनों की जांच नहीं कर रहे हैं। इसके चलते यह वाहन चालक बेफिक्र आवागमन कर रहे हैं। खास बात यह है कि नगर के बीचों बीच से दो स्टेट हाइवे निकले हैं और इन्हीं स्टेट हाइवे पर हाट लगता है।
ऐसे में तेज गति से चल रहे डंपरों के आवागमन से हादसा होने की आशंका बनी रहती है। डंपर ओवरलोड होने के कारण सडक़ों पर रेत भी फैलती जाती है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। यही नहीं थाना, तहसील, एसडीएम कार्यालय के सामने से रोजाना डंपर, ट्रक और ट्रैक्टर ट्रालियां अवैध रूप से रेत का अवैध परिवहन कर रहे हैं। बावजूद इसके इन पर कार्रवाई नहीं होना समझ से परे है। बता दें कि नर्मदा घाट केतोबान और बोरास से रेत भरकर सागर, बीना, विदिशा और खुरई आदि स्थानो की ओर जाने वाले इन वाहनों से बड़ी मात्रा में पानी और रेत गिरते हुए देखा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर अधिकतर वाहन संचालकों के पास कागजातों में रायल्टी के नाम पर सिर्फ टोकन रहते हैं।
कार्रवाई के नाम पर करते हैं खानापूर्ति:-
जिले में नर्मदा नदी देवरी से लेकर भारकच्छ के बीच होकर गुजरती है जिसमें जिसमें जगह.जगह रेत ठेकेदार के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अवैध उत्खनन किया जा रहा है। वैध खदानों से भी रायल्टी की राशि तो ली जा रही हैए लेकिन रायल्टी रसीद की जगह एक टोकन दिया जा रहा है। इससे शासन को रोजाना लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इतना सब होने के बावजूद खनिज अमला अवैध उत्खनन वि बेखबर है। हालांकि खानापूर्ति को लेकर खनिज विभाग के द्वारा यदा.कदा कभी कभार छोटी मोटी कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।
*शहर से रोजाना निकल रहे 100 से 150 डंपर:-*
प्रतिदिन लगभग 100 से डेढ़ सौ डम्पर रेत रोजाना दूसरे शहरों में ऊंचे दामों में बेची जाती है। परिणाम स्वरूप नगर से निकलने वाले ओवरलोड वाहनों के कारण सडक़ समय से पूर्व क्षतिग्रस्त हो रही हैं। दिलचस्प है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल का आदेश भी बेअसर साबित हो रहा है। दरअसल एनजीटी के द्वारा नदी से रेत निकालने को लेकर निर्धारित मापदंडों का ठेकेदार के द्वारा पालन नहीं किया जा रहा जिसका जीता जागता सबूत निकलने वाले रेत के अधिकतर वाहनों से बड़ी मात्रा में पानी गिरते हुए देखा जा सकता है।
*माफि या को राजनीतिक संरक्षण, कार्रवाई नहीं:-*
इन माफि या को पूरी तरह से राजनैतिक संरक्षण मिलने के कारण अफसर भी इन पर कार्रवाई करने से परहेज करते हैं। यही वजह है कि नगर से 24 ही घंटे रेत से भरी निकलने वाले वाहनों की कतार देखी जा सकती है। खास बात यह है कि इस मामले में सरकार और खनिज विभाग के द्वारा अवैध खनन को लेकर बड़े.बड़े दावे तो किए जाते हैंए लेकिन उन पर अमल कभी नहीं किया जा रहा है।
*विभागो की संयुक्त टीम बना कर करेगें कार्रवाही:-*
ओवर लोड रेत से भरे डंपरो पर खनिज, राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीम के द्वारा कार्रवाही की जावेगी।
*राजेश तिवारी, एसडीओपी सिलवानी* ।

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