महालेखाकार के निर्देश पर प्रदेश के 14 जिलों में जांच शुरू हुई
रायसेन जिले के
रायसेन। जिले के 560 किसानों के खाते में तीन साल से फसल क्षतिपूर्ति की राशि नहीं आई और शासन प्रशासन को बता दिया कि किसानों के खाते में राशि डाल दी गई है। यह राशि करीब दो करोड़ रुपए बताई जा रही है। ये गड़बड़ियां महालेखाकार ग्वालियर के ऑडिट में किसानों के नाम मिस मेच होने पर सर्वर में सामने आई। इसके बाद महालेखाकार के निर्देश पर प्रदेश के 14 जिलों में जांच शुरू हुई।
जिला प्रशासन ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट तैयार कर दोषियों के खिलाफ आरोप भी तय कर लिए हैं। पर अभी उसका खुलासा नहीं किया है। मामला वर्ष 2019, 2020 और 2021 में भारी बारिश, ओलावृष्टि व प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुई फसलों की क्षतिपूर्ति से जुड़ा है। बताया जाता है जो राशि किसानों के खाते में डालना थी।उसे संबंधित विभाग के अधिकारी व ऑपरेटर ने डाला ही नहीं। कलेक्टर अरविंद दुबे ने सिलवानी, गैरतगंज व व बाड़ी सहित रायसेन कलेक्ट्रेट के अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम बनाकर जांच शुरू कर दी।
तहसीलदार से लेकर पटवारी और ऑपरेटर की मिलीभगत…..
14 जिलों की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में पता चला है कि मामले में राजस्व विभाग के तहसीलदार, पटवारी सहित कम्प्यूटर ऑपरेटर की भूमिका सामने आ रही है ।क्योंकि पटवारी ने रिपोर्ट तो सही दी।लेकिन बाद में हितग्राही का खाता बदल दिया गया। ऐसे में तहसीलदार ने क्या देखा जो भुगतान कर दिया।
इन जिलों में धांधली आई सामने….
सीहोर, विदिशा, रायसेन, शिवपुरी, सतना, दमोह, छतरपुर, देवास, खंडवा, सिवनी, मंदसौर, आगर मालवा और श्योपुर। इन जिलों में करीब 15 करोड़ से अधिक की राशि की हेराफेरी सामने आने की संभावना है।
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