मध्यप्रदेश की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा के श्री रामराजा मंदिर को इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस जारी किया है। मंदिर प्रबंधन ने साल 2015-16 में बैंक खाते में 1 करोड़ 22 लाख रुपए जमा कर एफडी कराई थी। आयकर विभाग ने इसका संज्ञान लेकर नोटिस भेजा। जिसमें रिटर्न भरने को कहा गया है। जवाब में मंदिर प्रबंधन ने कहा कि यह मंदिर शासकीय मंदिरों की सूची में शामिल है। यह आयकर से मुक्त है।
आयकर विभाग ने यह नोटिस 23 मार्च 2023 को जारी किया था। जो रविवार को सामने आया। मंदिर प्रबंधन ने 30 मार्च को इसका जवाब विभाग को दे दिया था। इससे पहले भी मंदिर को श्रद्धालुओं से मिले दान को लेकर 2010 और 2020 में नोटिस मिल चुका है। तब भी मंदिर प्रबंधन ने कहा था कि रामराजा मंदिर शासकीय है। यह आयकर की श्रेणी में नहीं आता।
मंदिर प्रबंधन से मांगी बैलेंस शीट और आय-व्यय का ब्योरा
इस नोटिस में विभाग ने 2015-16 के दौरान मंदिर के खाते में जमा किए गए 1 करोड़ 22 लाख, 55 हजार, 572 रुपए का हिसाब मांगा है। इसके विवरण के साथ ही मंदिर की बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट, पी एंड एल खाता के साथ ही आय-व्यय का ब्योरा एवं अन्य खातों की जानकारी मांगी है।
मंदिर प्रबंधन के जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं
इस नोटिस के जवाब में मंदिर प्रबंधन एवं प्रशासन का कहना है कि मंदिर आयकर की श्रेणी में नहीं आता। आयकर विभाग इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। इसलिए वह और पुख्ता प्रमाण मांग रहा है। मंदिर प्रबंधन ने 2010 के आधार पर जवाब दे दिया है।
शासकीय मंदिरों की सूची में शामिल हैं मंदिर
ओरछा तहसीलदार मनीष जैन ने बताया कि 2010 में भी आयकर विभाग ने मंदिर की आय को लेकर नोटिस जारी किया था। उस समय तत्कालीन कलेक्टर द्वारा धर्मस्व विभाग की सूची का हवाला देते हुए बताया गया था कि यह मंदिर शासकीय मंदिरों की सूची में 53वें नंबर पर अंकित है। प्रशासन ने 1999 में धर्मस्व विभाग द्वारा तैयार की गई सूची का हवाला भी दिया था।
यहां भगवान राम राजा के रूप में विराजमान
बुंदेला शासकों की नगरी रही ओरछा में भगवान राम राजा के रूप में विराजमान हैं। यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर ऐसा है, जहां पर राजा के रूप में राम राजा सरकार को सशस्त्र सलामी दी जाती है, वह भी दिन में चार बार। ओरछा में विराजित भगवान की प्रतिमा विक्रम संवत् 1631 ईस्वी यानी सन् 1573 में अयोध्या (उत्तर प्रदेश) से लाई गई थी, तभी से यहां भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा है। यहां श्री रामराजा सरकार का भक्तों से राजा और प्रजा का संबंध है।
यहां की रानी कुंवर गणेश संवत् 1631 में भगवान श्रीराम को ओरछा लाई थी। उसके बाद राजा मधुकर शाह प्रथम ने भगवान श्रीराम को ओरछा का राजा घोषित कर दिया था। वे स्वयं कार्यकारी नरेश के तौर पर ओरछा के शासक रहे। राजा मधुकर शाह प्रथम ने ही भगवान श्रीराम को सशस्त्र सलामी की परंपरा शुरू की थी।
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