November 7, 2024
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सावधान! इन गलतियों से रुक सकता है बच्चों का विकास

बच्चो के मस्तिष्क का 90 फीसदी विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है। इसका अर्थ यह कि वो किस तरह से दूसरों से बात करेगा, किस तरह किसी स्थिति को संभालेगा और कैसे सोचेगा, ये सब जीवन के कुछ शुरुआती वर्षों में ही तय हो जाता है।
शुरुआती जीवन का महत्व जीवन के किसी भी क्रम से अधिक होता है। जाने अनजाने हम ऐसी कई गलतियां कर रहे हैं, जो उन्हें सही सोच और आदत विकसित करने से रोक रही हैं। ऐसी ही कुछ बातें आज हम बता रहें हैं, यदि आपके घर में ऐसा है, तो उसे बदलने का प्रयास करें


1. बच्चों के सामने एक दूसरे से बुरी तरह लड़ाई करना। इसका बच्चों के कोमल मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जो जीवन पर्यन्त उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है।

2. बच्चों के सामने बहुत अधिक मोबाइल/टीवी देखना। बच्चे वही सीखेंगे जो आप उनके सामने करेंगे। उनकी ऑब्जर्वेशन की क्षमता बहुत अधिक होती है। और इस बात पर बहुत अधिक गर्व न करें कि आपका बच्चा अपने आप यूट्यूब चला लेता है, ये कोई अच्छी आदत नहीं है।

3. खाना खिलाने के लिए या चुप कराने के लिए मोबाइल देना। खाना खाना जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। स्मरण रहे, “जैसा आहार, वैसा व्यवहार”। यहां आहार का अर्थ सिर्फ आप क्या खिला रहे है वो ही नहीं, बल्कि कैसे खिला रहे है, वो भी है। आप किसी भी बच्चे को मोबाइल की आदत के साथ खाना खिलाएंगे, तो धीरे धीरे उसकी भोजन से रुचि चली जाएगी जिसका उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस बात का सदा ध्यान रखें कि भोजन हमेशा आराम से और प्रेम से खिलाएं, उसे एक रोज़मर्रा का काम न समझें।

4. घर में दबाव का माहौल/ डर का माहौल रखना। कई बार माता पिता जाने अनजाने अपने ऑफिस का गुस्सा घर आकर निकालते हैं। याद रहे कि वो बच्चा आपके ऑफिस और इन सब चीजों से अनजान है। उसके कोमल ह्रदय पर ऐसी बातों को बहुत बुरा असर पड़ता है। कई बार ऐसे बच्चे रात में बिस्तर पर पेशाब भी कर देते हैं।

5. उसके तोतलापन या उसके वजन का मज़ाक उड़ाना। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप उस बच्चे का बहुत नुकसान कर रहे हैं। बच्चों के मन में हीन भावना बहुत जल्दी घर कर जाती है। धीरे धीरे ये उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और बच्चा अपने आप को अकेला समझने लगता है। वो समाज में जाने से बचने लगता है और कुंठित रहने लगता है। कोई भी ऐसा नहीं चाहेगा, पर अनजाने में कई लोग ऐसा कर देते हैं।

यदि आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखें, तो निश्चय ही आपका बच्चा/बच्ची एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी पाएंगे।

लेखक का परिचय

Dr. Sukarn Awasthi
Ex SR NSCB MC, Jabalpur
Asst. Professor
Department of Pediatrics
People’s Medical College
Bhopal
Neeru’s Child, Skin & Family Clinic, Bhopal
9669661174

लेखक एक एमबीबीएस, एमडी (शिशु एवम बाल्य रोग विशेषज्ञ हैं)

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