November 7, 2024
जिला रायसेन शिक्षा

हार्ड स्किल को सॉफ्ट स्किल में परिवर्ति करने से मिलेंगे रोज़गार



• ‘शिक्षा से मिले ज्ञान को उद्यम में बदलना होगा’
• सांची विश्वविद्यालय में विश्व उद्यमिता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
• नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो जैसे ओ.टी.टी प्लेटफॉर्म हो सकते हैं रोज़गार का साधन
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज विश्व उद्यमिता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों द्वारा विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रेरित किया गया कि वो स्वावलंबी बने और स्वयं के उद्योग को विकसित करने का प्रयास करें ताकि स्वयं को रोज़गार और अन्य लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध करा सकें।
इस अवसर पर सांची के 22 वर्षीय युवा उद्यमी श्री रोहित शर्मा को भी उद्बोधन के लिए बुलाया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने सांची में नज़दीक ही एक गांव में गृह एवं कुटीर उद्योग स्तर पर डिस्पोज़ेबल दोना-पत्तल, ग्लास, चम्मच इत्यादि को निर्मित किए जाने का कार्य प्रारंभ किया। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर जब उद्योग लगाए जाने की उन्होंने कोशिश की तो कैसे उनके परिवार व अन्य लोगों ने सहयोग करने की बजाए परेशानियां बढ़ाईं लेकिन उनके दृढ़ निश्चय के बाद आज उनका टर्न ओवर लाखों में है और वो साल भर में लगभग ढाई से तीन करोड़ की संख्या में डिस्पोज़ेबल सामग्रियां खासकर दोना-पत्तल निर्मित कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय के प्रो. नवीन कुमार मेहता ने छात्रों को प्रेरित किया कि छात्रों को पढ़ाई के दौरान हासिल किए गए स्किल्स(कौशल) व डिग्री, डिप्लोमा को सॉफ्ट स्किल्स में बदलना होगा ताकि उसे उद्योग में परिवर्तित किया जा सके। उन्होंने विभिन्न विषयों के छात्रों को बताया कि इसे कैसे किया जा सकता है। प्रो. मेहता ने उदाहरण पेश किया कि विश्व में बौद्ध मेडिटेशन पद्धति ‘विपश्यना’ व ‘भारतीय योग विद्या’ की बड़ी मांग है। छात्र इसमें विश्वविद्यालय में सीखे गए प्रेक्टिकल ज्ञान के आधार पर देश-विदेश में अपने स्वयं के केंद्र घर से ही प्रारंभ कर सकते हैं क्योंकि संपूर्ण विश्व में लोग शांति की तलाश में हैं। प्रो. मेहता ने बताया कि छात्र हिंदी, अंग्रेज़ी में कंटेंट राइटर के रूप में नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो इत्यादि ओ.टी.टी प्लेटफॉर्म पर भी घर बैठे रोज़गार पा सकते हैं क्योंकि इन प्लेटफॉर्म को फिल्में, वेबसीरीज़ कई भाषाओं के सबटाइटल्स के साथ जारी करनी होती है यहां तक कि कई जगहों पर तो डबिंग के लिए अलग-अलग भाषाओं में स्क्रिप्ट भी ज़रूरी होती है। उन्होंने कहा कि छात्रों को शर्म और झिझक छोड़नी होगी और हर छोटे से छोटे कार्य को अपना समझ कर करना होगा।
विश्वविद्यालय के सहायक लाइब्रेरियन डॉ. अमित ताम्रकार ने अपने उद्बोधन में कई स्टार्टअप्स का भी ज़िक्र किया और उनके कामयाबी के आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि छात्रों को चाहिए कि वो अपनी पढ़ाई के दौरान ही आय अर्जित करने का प्रयास करें। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश चंद्रवंशी ने भी छात्रों को छोटे-छोटे समान समूह बनाते हुए स्टार्टअप्स के बारे में सोच विकसित करने को प्रेरित किया।
(आपसे अनुरोध है कि उक्त समाचार को अपने माध्यमों पर उचित स्थान प्रदान करने का कष्ट करें।)

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