उज्जैन, इंदौर, भोपाल होते हुए सांची पहुंची मशाल
सॉची विश्वविद्यालय में शतरंज खेल के प्रति जागरूकता हेतु विशेष कायज़्क्रम
रायसेन। भारत में आयोजित हो रहे 44वें चेस ओलंपियाड टॉर्च रिले मशाल का सॉची में भव्य स्वागत किया गया। यह ओलंपियाड मशाल उज्जैन, इंदौर, भोपाल होते हुए सॉची पहुंची। यहां कलेक्टर अरविन्द कुमार दुबे, पुलिस अधीक्षक विकास शहवाल, डीएफओ अजय पाण्डेय सहित अन्य अधिकारियों, खिलाडिय़ों तथा बड़ी संख्या में उपस्थित खेलप्रमियों द्वारा ओलंपियाड मशाल का भव्य स्वागत किया गया। शतरंज खेल में जागरूकता लाने के उद्देश्य से आज़ादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत देश के प्रतिष्ठित 75 स्थानों पर इस टॉर्च को ले जाया जा रहा है। इन्हीं में से एक सांची भी है।
यह ओलंपियाड मशाल सॉची स्तूप परिसर पहुंची, जहां कलेक्टर श्री दुबे द्वारा इस मशाल को बच्चों को सौंपा गया। सॉची स्तूप परिसर से मप्र चेस एसोसिएशन के खिलाड़ी इसे सांची स्थित सांची विश्वविद्यालय परिसर लेकर पहुंचे जहां मशाल का भव्य स्वागत किया गया। टॉर्च रिले में शामिल चेस प्लेयर्स ने विश्ववविद्यालय ऑडिटोरियम में चेस के खेल के टिप्स देकर सभी का अभिनंदन किया। कलेक्टर श्री अरविंद दुबे, जि़ला पुलिस अधीक्षक श्री विकास शाहवाल और सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुवेर्दी ने स्कूल के बच्चों के साथ चेस भी खेला। म.प्र चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री गुरमीत सिंह और उनकी पत्नी का भी सांची विश्वविद्यालय में भव्य स्वागत किया गया। जि़ला कलेक्टर श्री अरविंद दुबे ने उन्हें मशाल सौंपी। श्री गुरमीत सिंह और उनकी पत्नी प्रदेश के लोगों को चेस खेलने के गुर सिखाते हैं। वे ऑनलाइन भी मुफ्त लोगों को शतरंज की चालें सिखाते हैं। जि़ला कलेक्टर श्री अरविंद दुबे ने कहा कि चेस की शुरुआत भारत से ही हुई थी। दुनिया में जहां भी चेस ओलंपियाड होगा वहां पर हर बार यह मशाल भारत के द्वारा भेजी जाएगी। उनका कहना था कि चेस खेलने से आई.क्यू बढ़ता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुवेर्दी ने कहा कि विश्वनाथन आनंद 8 बार शतरंज के विश्व विजेता रहे हैं और इस प्रकार के प्रयासों से देश में और भी विश्वनाथन आनंद के स्तर के चेस खिलाड़ी पैदा होंगे। टॉर्च रिले टीम मशाल के साथ झांसी रवाना हो गई।