सोसायटी पर खाद नहीं, निजी दुकानों पर निर्धारित दाम से ज्यादा में मिल रहा,विपणन कार्यालय की खाद गोदाम पर भी किसानों की बढ़ी परेशानी
रायसेन। सुबह से दोपहर तक लाइन में खड़े होकर किसानों को लेना पड़ता खाद।
किसानों का दर्द, जितनी जरूरत उतनी खाद एक बार में नहीं मिल रही, आखिर कितनी बार लगना पड़ेगा लाइन में तहसील व ग्रामीण स्तर पर किसानों को कृषक सेवा सहकारी समिति के माध्यम से खाद नहीं मिल पा रहा है। मजबूरीवश उसे 50 से 70 किमी दूर जिला मुख्यालय रायसेन आकर खाद लेनी पड़ रही है।
किसानों के समक्ष एक के बाद एक समस्या सामने आती जा रही है। इस समय जिले का किसान यूरिया डीएपी खाद के लिए परेशान हो रहा है। तहसील व ग्रामीण स्तर पर किसानों को कृषक सेवा सहकारी समिति के माध्यम से खाद नहीं मिल पा रहा है। मजबूरीवश उसे 50 से 70 किमी दूर जिला मुख्यालय रायसेन आकर खाद लेनी पड़ रही है। लेकिन यहां आकर भी उसकी समस्या दूर नहीं हो रही है। क्योंकि यहां पहले तो उसे लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर एक बार में पर्याप्त खाद नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उसे खाद के एक-एक बोरी खाद के लिए कई बार लाइन में लगने मजबूर होना पड़ रहा है। खाद के वर्तमान संकट ने कृषि विभाग,जिला विपणन विभाग और जिला प्रशासन के आला अफसरों दावे को गलत साबित हो रहे है। जिसमें उन्होंने खरीफ सीजन की फसलों की बोवनी से पहले ही भरपूर खाद होने का दावा किया था। यहां तक कहा था कि इस बार खाद की कोई समस्या नहीं आएगी।
खाद संकट की जमीनी हकीकत जानने के लिए जिला मुख्यालय पर मंडी परिसर में वबनाए गए एक मात्र खाद वितरण केंद्र में जाकर देखा। दोपहर एक बजे गोदाम के बाहर आधा सैकड़ा से अधिक किसान लाइन में लगे हुए थे। इन किसानों ने जब परेशानी पूछी तो एक-एक किसान ने खुलकर अपनी समस्या बताई। जिसमें सबसे पहले तो उन्होंने खाद संकट के लिए प्राइवेट दुकानदारों को दोषी बताया। कहा कि वे निर्धारित रेट 268 रुपए से अधिक 350 रुपए तक का प्रति बोरी बेच रहे हैं। इन पर संबंधित विभाग और प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं जिले भर के किसानों को यूरिया डीएपी खाद लेने कई किमी दूर से रायसेन मंडी स्थित खाद गोदाम पर आना पड़ रहा है। क्योंकि तहसील व गांव में स्थित सहकारी समितियों पर खाद ही नहीं है।
जिला-प्रशासन का आदेश है कि किसी भी किसान को एक बार में 10 बोरियों से ज्यादा यूरिया डीएपी खाद नहीं देना है। जबकि एक बीघा में एक बोरी खाद उपयोग में आता है। 50 बीघा से ज्यादा जमीन वाले किसानों की संख्या अधिक है। ऐसे में किसानों को कितनी बार खाद लेने रायसेन आना पड़ेगा। इस बार अधिकांश किसानों ने मक्का और धान की बोवनी की है।
एक बार में दस बोरी से ज्यादा नहीं….
अन्नदाताओं ने बताई अपनी परेशानी
नियमानुसार खाद की बोरी को उठाते समय हुक्क लगाना मना है। इससे खाद की बोरी फट जाती और खाद फैलने लगती है। जो खाद फैल जाती है उसे मजदूर एकत्रित कर बेच देेते हैं।
वीरेंद्र धाकड़, किसान ग्राम बनखेड़ी
अभी कुछ देर पहले व्यवस्था देखने तहसीलदार आए थे। वे गाड़ी से बाहर तक नहीं उतरे। उन्होंने न तो किसानों से चर्चा कर समस्या जानी और न ही वितरण केंद्र पर पूछताछ की और चले गए।मदन जाटव, किसान ग्राम बड़ोदा
खाद संकट की असली वजह निजी दुकानदारों द्वारा कालाबाजारी करना है। छोटे किसानों को निर्धारित रेट से बहुत अधिक कीमत पर बेच रहे हैं। बड़े किसानों को ब्लैक में बेच रहे हैं।
परसराम दांगी, किसान ग्राम मासेर